Kanpur. उप्र के कानपुर से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक परिवार करीब 1 साल तक शव के साथ बने रहे। उनके घर में साल भर डेड बॉडी रखी रही लेकिन आस-पास के लोगों को खबर भी नहीं लगी। यहां तक कि उन्हें बदबू भी नहीं आई। जानकारी के अनुसार आयकर अधिकारी विमलेश सोनकर की मौत के बाद उनका परिवार लाश के साथ रह रहा था। मामले की जानकारी शुक्रवार को हुई, जब विभाग के कर्मचारी उनके घर पहुंचे। दूसरी ओर उनका परिवार उन्हें कोमा में बताता रहा, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मौत हो चुकी है। मौत कब हुई थी, इसकी सटीक टाइमिंग पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आएगी। इस घटनाक्रम से शहर में खलबली मच गई। ऐसे में ये तथ्य सामने आ रहे हैं कि क्या अंधविश्वास के चलते शव को 1 साल तक घर में रखे रहे अथवा अन्य कोई कारण। फिलहाल सभी पहलुओं की विस्तार से जांच हो रही है।
पिता बोले- धड़कन चल रही थी
विमलेश के पिता राम अवतार ने बताया धड़कन चल रही थी, तभी हम रखे हुए थे। डॉक्टर से जांच करवाई थी, उन्होंने भी जिंदा होने की बात कही। राम अवतार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से सेवानिवृत्त हैं। भाई दिनेश ने बताया- हमने शरीर में कोई भी लेप नहीं लगाया था। जब मरे थे, हम लोग शवयात्रा की तैयारी कर रहे थे। तभी धड़कन चलने पर उनका अंतिम संस्कार रोक दिया। उनके शरीर से भी कोई बदबू नहीं आ रही थी।
कोरोना में बिगड़ी थी तबीयत
मामला रोशननगर के कृष्णापुरम का है। यहां विमलेश सोनकर अपनी पत्नी मिताली के साथ रहते थे। मिताली को-ऑपरेटिव बैंक में जॉब करती हैं। विमलेश सोनकर अहमदाबाद इनकम टैक्स में AO के पद पर कार्यरत थे। पड़ोसियों ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 22 अप्रैल 2021 को तबीयत बिगड़ने पर मोती हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था।
अंतिम संस्कार रोका
इलाज के दौरान जून 2021 में उनकी मौत हो गई थी जिसका डेथ सर्टिफिकेट भी उनके परिजन को दिया गया था। घर आने के बाद अंतिम संस्कार की तैयारी के दौरान अचानक मृतक की दिल की धड़कन आने की बात कहकर घर वालों ने अंतिम संस्कार टाल दिया।
रोजाना ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाते थे
पुलिस ने पूछताछ की तो कुछ पड़ोसियों ने कहा कि उन्हें तो यही विश्वास था कि विमलेश जिंदा हैं और कोमा में हैं। डेढ़ साल से रोजाना घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाए जाते थे। इसलिए कभी उन्हें उनकी मौत का आभास नहीं हुआ और पुलिस को भी जानकारी देना उचित नहीं समझा।
मांस हड्डियों में ही सूख गया
तब से लगभग डेढ़ साल हो रहे हैं। घर के अंदर एक पलंग पर लाश को लेटा रखा था। मृत शरीर की हालत बेहद खराब हो चुकी है और मांस हड्डियों में ही सूख गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिजन विमलेश को कोमा में होने की बात बता रहे थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंची, तो परिजन ने शव ले जाने से मना कर दिया। परिजन इस बात पर डटे रहे कि विमलेश अभी भी जीवित हैं। टीम ने शव को कब्जे में लेकर हैलट अस्पताल भेजा। अब पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। हालांकि, डेढ़ साल तक बॉडी के साथ परिवार के लोग कैसे रहे? यह बात किसी को समझ में नहीं आ रही है।
डेढ़ साल से जॉब पर नहीं गए तो भेजा लेटर
डेढ़ साल से विमलेश जॉब पर नहीं गए थे। ऐसे में आयकर विभाग ने डीएम कानपुर को लेटर भेज कर जानकारी मांगी थी। इस पर डीएम ने CMO की अध्यक्षता में जांच टीम गठित की थी। टीम शुक्रवार को विमलेश के घर पहुंची तब मामले का खुलासे हुआ।
पड़ोसियों को नहीं आई बदबू
घर के पास रहने वाले जहीर ने बताया कि ये परिवार किसी से मतलब नहीं रखता था। इसलिए हम ज्यादा बता नहीं सकते। ये सुनने में आया था वो कई दिनों से कोमा में चल रहे हैं। उनके घर से बदबू कभी नहीं आई।
ऐसे खुला मामला
एक सप्ताह पहले विमलेश की पत्नी मिताली ने अहमदाबाद स्थित इनकम टैक्स कार्यालय में पति के मरने की सूचना दी थी। विभाग को किए गए फोन पर उन्होंने कहा था कि उनके पति की मौत हो चुकी है, फिर भी माता-पिता उनका शव रखे हुए हैं। इस पर विभाग की ओर से कानपुर के सीएमओ और जिलाधिकारी को एक पत्र लिख मामले की जांच करने को कहा गया। तभी शुक्रवार को एसीएमओ की तीन सदस्यीय टीम और पुलिस मामले की जांच करने पहुंची थी। सीएमओ की मांग पर स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ पुलिस फोर्स मौके पर भेजा गया था। शव को पुलिस की मौजूदगी में कब्जे में लेकर हैलट लाया गया, जहां डॉक्टरों की टीम ने उसका परीक्षण किया।
भोपाल में भी आईपीएस पर पिता का शव घर में रखने का आरोप
इसी तरह का मामला भोपाल में करीब 4 साल पहले आया था जहां एक आईपीएस पर अपने पिता का शव घर में 1 साल तक रखने का आरोप लगा था। जानकारी के अनुसार आईपीएस राजेंद्र कुमार मिश्रा पर एक महीने तक घर में पिता का शव रखने का आरोप लगा। बताया जा रहा है कि पिता की मौत एक महीने पहले हो चुकी है। निजी अस्पताल ने उनका मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया था। राजेंद्र कुमार मिश्रा के 84 वर्षीय पिता कालूमणी मिश्रा को गंभीर हालत में बंसल अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
शव वाहन को यह कहकर वापस भेजा
14 जनवरी को उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। अस्पताल ने उनका मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करते हुए शव परिजनों को सौंप दिया। आईपीएस अफसर भी पिता का शव लेकर बंगले आ गए और अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे। इसी बीच परिजनों को कालूमणी मिश्रा के शव में कुछ हरकत दिखाई दी। इसके बाद राजेंद्र मिश्रा ने शव वाहन को यह कहकर वापस भेज दिया कि पिता के प्राण वापस आ गए। अफसर के दबाव में बंगले पर ड्यूटी करने वाले एसएएफ के दो सुरक्षाकर्मी उनकी देखरेख में लगे थे। दोनों बीमार हो गए तब मामले की हकीकत सामने आई। बंगले पर आयुर्वेदिक डॉक्टरों के साथ दूर-दराज से तांत्रिक भी झाड़-फूंक करने आ रहे थे।